नाम है मेरा एच एन सिंह
सरनेम है सोलंकी
कुछ लोग कहते हैं हरीश |
काम करता हूँ स्वास्थ सम्बन्धी ,
इसलिए प्यार करते हैं मुझसे मरीज | |
सोलह आने सही बात करने और
सही काम करने वाला सोलंकी |
सिर्फ हल और कलम ही चलते हैं |
वे कोई और होंगे जो मानवता को खून से
चिकने पत्थरों को दूध से नहलाते हैं | |
हकीकतों के इतिहास लिखता हूँ |
छुपा राखी हैं असलियतें, उन्हीं के
उजागर दुस्साहस लिखता हूँ | |
मैं शोले उगलता हूँ |
मैं क्रोध की आग, लिए फिरता हूँ |
कठोर वाणीमैं राग,लिए फिरता हूँ | |
कुछ लोग कहते हैं हरीश |
काम करता हूँ स्वास्थ सम्बन्धी ,
इसलिए प्यार करते हैं मुझसे मरीज | |
सोलह आने सही बात करने और
सही काम करने वाला सोलंकी |
सिर्फ हल और कलम ही चलते हैं |
वे कोई और होंगे जो मानवता को खून से
चिकने पत्थरों को दूध से नहलाते हैं | |
हकीकतों के इतिहास लिखता हूँ |
छुपा राखी हैं असलियतें, उन्हीं के
उजागर दुस्साहस लिखता हूँ | |
मैं शोले उगलता हूँ |
मैं क्रोध की आग, लिए फिरता हूँ |
कठोर वाणीमैं राग,लिए फिरता हूँ | |
कुदरत ने दी है मुझे, कठोर वाणी,
इसलिए व्यंग बाण लिए फिरता हूँ | |
इसलिए व्यंग बाण लिए फिरता हूँ | |
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