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Friday, April 5, 2019

सुलगते सवाल | व्यंग | shayari on real life

सुलगते सवाल  (व्यंग )

(shayari on life) 
आखिर आतंक और उग्रवाद 
ढोने की वजह क्या थी। 
आदमी से आदमी को विश्वास 
खोने की वजह क्या थी। 
रामराज सर्व संपन्न था। 
हर अपराध की सजा एक थी। 
फिर वहां के मानव में राक्षस 
होने की वजह क्या थी। 
जहाँ  हंस चुगते थे दाना 
कौआ मोती कहते थे। 
वहां के इन्सान को मांस 
खाने की वजह क्या थी। 


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Wednesday, January 9, 2019

निर्मोही : मौत | shayari on life | hindi shayari | life shayari 2019

  मौत 

(shayari on life )

पहले बहला फुसला के मिली |
फिर दिल को दहलाके मिली | |
हम तो घबराये हैं उसे देख कर,
वो मुस्कान ओठों पे खिला के मिली |
कल फिर मुलाकात हो गई उससे ,
अटल है वो एहसास दिल के मिली | |
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 Shayari On Life  

(ग़ज़ल - जिंदगी शायरी  )

जमी पे रहके जमीं की बात करें,
जीना मरना यहाँ पे यहीं की बात करें।

मिलता हो ठिकाना सर छुपाने का जहाँ 
वक्त मिले जितना भी वहीँ की बात करें। 

गगन का सूरज तो गर्माता ही रहा है 
हम कुछ नाम किखें  नमीं की बात करें। 

खुशबु सभी गुलाबों में है महकती हुई 
हर फूल में हम यकीं की बात करें।   
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धूप दोपहरी की

  ग़ज़ल

माव फागुन में नारमती धूप दोपहरी की | 
चेत बैसाख में गरमात, धूप दोपहरी की |

जेठ आषाढ़ में ओढ़ चुनरिया बदल की,
सावन भादो में तरसती, धूप दोपहरी की |

देह की नदी में आ जाती  बारिश बाढ़,
मेहनतकशों से घबराती, धूप दोपहरी की |

किस किस और तलाशे धनपति बेचारे,
शीतलता को आँख दिखाती, धूप दोपहरी की |

थलचर नभचर और अब  जाते बेहाल,
हरियाली जब चार जाती, धूप दोपहरी की |

सौगात में मिली हमें सर्दी गर्मी बरसात,
 ऋतु में इठलाती,  धूप दोपहरी की | 

सत्ता

  ग़ज़ल

सत्ता के पिंजरे में बैठा है सुआ | 
कुतरने की अदा पे ऐंठा है मुआ | | 

कई मर गए यहाँ तड़पके भूक से 
गर्रा के फैंक रहे हैं वो मॉल पुआ |

सत्ता रूपी सुंदरी को पाने के लिए,
ज़िंदगियों से खेल रहे हैं वो जुआ | | 

वो महलों में रहने वाले क्या जानें 
गरीबों के जलते दिलों से उठता नहीं धुंआ | 

 

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