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Friday, April 5, 2019

सुलगते सवाल | व्यंग | shayari on real life

सुलगते सवाल  (व्यंग )

(shayari on life) 
आखिर आतंक और उग्रवाद 
ढोने की वजह क्या थी। 
आदमी से आदमी को विश्वास 
खोने की वजह क्या थी। 
रामराज सर्व संपन्न था। 
हर अपराध की सजा एक थी। 
फिर वहां के मानव में राक्षस 
होने की वजह क्या थी। 
जहाँ  हंस चुगते थे दाना 
कौआ मोती कहते थे। 
वहां के इन्सान को मांस 
खाने की वजह क्या थी। 


Book:- हस्तक्षेप 
Price:- 50 /-
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Wednesday, January 9, 2019

क्या वास्ता | hindi shayari | selfish | best rajneeti shayari

क्या वास्ता

rajneeti shayari


सौदागरों को ईमान से क्या वास्ता | 
इन्हें खली मियां से क्या वास्ता | |

मिल गए वोटों में महल जिन्हें,
उन्हें टूटे माकन से क्या वास्ता |

बन बैठे खुदा मुल्क में जो,
उन्हें अब भगवान से क्या वास्ता | 

वो जी रहे हैं खुश होक बहारों में ,
उन्हें पड़ोस के वीरान से क्या वास्ता |

हम भी  डीजे  टेलीविज़न में,
हमें पडोसी के नुकसान से क्या वास्ता | 
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Thursday, October 26, 2017

muktak

मुक्तक

कल बदलेगा, आज बदलेगा | 
राज बदलेगा, काज बदलेगा || 
हमने उठाई  है अब कलम ,
निश्चित ही समाज बदलेगा | 
भूक प्यास की अति नहीं याद | 
ग़रीबी का मालूम नहीं स्वाद || 
वैभव भरी स्वार्थ की स्याही | 
झुग्गियों पे लिख रहीं संवाद || 
शिक्षा , चिकित्सा का हो रहा निजीकरण | 
देशी कम्पनियों का हो रहा विदेशीकरण || 
डर इस बात का सता रहा हे दोस्तों ,
फिरसे ना हो जाये कहीं सत्ता का अपहरण ||
वो मर्द -मर्द नहीं होता | 
जिसे कोई दर्द नहीं होता || 
जिसे पीड़ाएं ना दिखाई दें औरों की,
क्या वो कमज़र्फ नहीं होता || 

 हस्तक्षेप (मुक्तक संग्रह), प्रथम संस्करण २०११ 
एच. एन. सोलंकी( निर्मोही  )  


इसी संकलन के और मुक्तक पढ़ने के लिए लाइक, कमेंट और शेयर ज़रूर करें धन्यवाद ||

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