Wednesday, March 7, 2018

व्यवस्थाऐं

  व्यवस्थाऐं

तरह तरह का भ्रष्टाचार है 
तरह तरह की है भ्रष्टाचारी | 
मिल्क बिस्किट खाते उनके टॉमी 
आत्म हत्या करते भूके कर्मचारी ||  
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तरह तरह का आतंक है 
तरह तरह के हैं आतंकवादी | 
सरहद पे शहीद होती गाँव की खाकी 
दिल्ली का ताज पहनती है खादी  || 

अब तो चरवाहों से हमजोली कर ली | 
भेड़ियों ने भेड़ों की रखवाली कर ली || 
इस नए ज़माने में नए तरीके से 
शिकारियों ने शिकार से आँख मिचोली करली || 

व्यवस्थाएं चिताओं पे पलती रही | 
वे धर्म के नाम पर हमें छलती रही || 
जब संविधान में हक मिला हमें |
तो बहस संशोधन पे चलती रही ||

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