Tuesday, January 29, 2019

बिजली का बिल | shayari on politics | life shayari

बिजली का बिल

गांव के हर खेत में हे कुंआ। 
फसलों ने मगर पानी नहीं छुआ। 

बंद पड़े हैं मोटर पम्प फिर भी 
बिल बिजली का हज़ारों में हुआ। 

बन कर कर्जदार साहूकारों का 
रो रहा बैठ कर खेत में घनसुआ। 

बिजली के रूबरू खड़े हो कर 
लोग मांगते हैं रौशनी की दुआ। 

सर पटक पटक कर किसान 
बिजली के दफ्तर में कुर्बान हुआ।

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