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Monday, May 6, 2019

नेता जी | निर्मोही शायरी | shayari on politics

निर्मोही शायरी (नेता जी )

(shayari on politics) 

नेता जी भी अपनी शैली तोलने लगे |
वे भी कविता के लहजे में बोलने लगे | |
और सीधे कवियों को नसीहत देते हुए,
इनकी भी ढोल की पोल खोने लगे |

वे कहने लगे हमारी तोहीन कर रहे हो |
तुम्हें मालूम नहीं तुम क्या कर रहे हो | |
मैं इस देश का सांस्कृतिक मंत्री हूँ,
मेरी ही बदौलत यहाँ आयोजन कर रहे हो |

पहले अफगान ये पाकिस्तान दुबारा है |
न घर तुम्हारा था, न शामशान तुम्हारा है | |
जो प्रसाद समझ के बाँट लिया तुमने ,
अब बचा हुआ सारा हिंदुस्तान हमारा है |

लोग कहते हैं, मन मंदिर है |
मस्जिद भी खुदा का घर है | |
जो भी है सच है लेकिन,
ये दोनों ही विवाद की जड़ हैं |

हमने बाली को भी शिकस्त दिलवा डाली |
विभीषण ने तो सारी लंका ही जलवा डाली | |
कौन है मर्यादि कौन है फरयादी यारों ,
कातिलों की भी हमसे पूजा करवा डाली |

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Friday, April 5, 2019

सुलगते सवाल | व्यंग | shayari on real life

सुलगते सवाल  (व्यंग )

(shayari on life) 
आखिर आतंक और उग्रवाद 
ढोने की वजह क्या थी। 
आदमी से आदमी को विश्वास 
खोने की वजह क्या थी। 
रामराज सर्व संपन्न था। 
हर अपराध की सजा एक थी। 
फिर वहां के मानव में राक्षस 
होने की वजह क्या थी। 
जहाँ  हंस चुगते थे दाना 
कौआ मोती कहते थे। 
वहां के इन्सान को मांस 
खाने की वजह क्या थी। 


Book:- हस्तक्षेप 
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Tuesday, January 29, 2019

बिजली का बिल | shayari on politics | life shayari

बिजली का बिल

गांव के हर खेत में हे कुंआ। 
फसलों ने मगर पानी नहीं छुआ। 

बंद पड़े हैं मोटर पम्प फिर भी 
बिल बिजली का हज़ारों में हुआ। 

बन कर कर्जदार साहूकारों का 
रो रहा बैठ कर खेत में घनसुआ। 

बिजली के रूबरू खड़े हो कर 
लोग मांगते हैं रौशनी की दुआ। 

सर पटक पटक कर किसान 
बिजली के दफ्तर में कुर्बान हुआ।

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Thursday, January 24, 2019

shayari on hospital | अस्पताल पर व्यंग | best new shayari 2019 | jindagi

अस्पताल 

रोज ही मैं अस्पताल में रहता हूँ। 
लाशों का भी हिसाब रखता हूँ।।
कुछ को पहुँचता उनके घर,
कुछ परिक्षण गृह में रखता हूँ। 

टूटी हुई ट्राली जिन्दा लाश।
कोई खींचे हड्डी कोई मांस।।
जिन्दा आते यहाँ कार में,
मुर्दा ढोते फोर्थ क्लास।।

मैं गया प्रसूति गृह,
पत्नी को ले लकर।।
वो लौटी खालि झोली,
मैं लौटा घूंस दे देकर।।



समझ के पैसा हलाल का ढोता हैं। 
वो गधा अस्पताल का होता है।
हाथ न लगाए बीमार बाप से,
वो बेटा भी कमाल का होता है। 

यहाँ कोन किसकी  सुनता है। 
बस अपने ही सपने बुनता।।
जो भी कोई अड़चन पैदा करे,
उसी को पकड़ कर धुनता है।  

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Wednesday, January 9, 2019

निर्मोही : मौत | shayari on life | hindi shayari | life shayari 2019

  मौत 

(shayari on life )

पहले बहला फुसला के मिली |
फिर दिल को दहलाके मिली | |
हम तो घबराये हैं उसे देख कर,
वो मुस्कान ओठों पे खिला के मिली |
कल फिर मुलाकात हो गई उससे ,
अटल है वो एहसास दिल के मिली | |
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 Shayari On Life  

(ग़ज़ल - जिंदगी शायरी  )

जमी पे रहके जमीं की बात करें,
जीना मरना यहाँ पे यहीं की बात करें।

मिलता हो ठिकाना सर छुपाने का जहाँ 
वक्त मिले जितना भी वहीँ की बात करें। 

गगन का सूरज तो गर्माता ही रहा है 
हम कुछ नाम किखें  नमीं की बात करें। 

खुशबु सभी गुलाबों में है महकती हुई 
हर फूल में हम यकीं की बात करें।   

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