Wednesday, January 9, 2019

सत्ता

  ग़ज़ल

सत्ता के पिंजरे में बैठा है सुआ | 
कुतरने की अदा पे ऐंठा है मुआ | | 

कई मर गए यहाँ तड़पके भूक से 
गर्रा के फैंक रहे हैं वो मॉल पुआ |

सत्ता रूपी सुंदरी को पाने के लिए,
ज़िंदगियों से खेल रहे हैं वो जुआ | | 

वो महलों में रहने वाले क्या जानें 
गरीबों के जलते दिलों से उठता नहीं धुंआ | 

 

1 comment:

  1. ज़बरदस्त,
    अब तो निकलना चाहिए
    नेत्ताओं के पिछवाड़े से धुआँ

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