Monday, January 21, 2019

Muktak


love Shayari 

मैं तो आसमां हूँ खली खली 
तू हर रंगों से भरी धरती है | 
 यहाँ कुदरत की हर नियामतें ,
तुझे ही झुक कर सलामत करती हैं ||
°
यूँ तो मुझमें तुझमें 
जमी आसमां का फर्क है | 
तेरी बाँहों में मेरी जन्नत,
वर्ना सारा जीवन ही नर्क है ||
°
वक्त गुजार लिया सफर समझकर | 
फिर ठुकरा दिया पत्थर समझकर || 
एक नहर पार कर न सके प्यार की,
गोते खाने लगे समंदर समझकर | 
°
डोलियां भी सजाई जाती हैं | 
खुशियां भी मनाई जाती हैं || 
फिर क्यों  जल्दी ही उनकी,
अर्थियां भी जलाई जाती हैं |
°
हमने कई पैगाम भिजवाए थे | 
लौटकर जवाब नहीं आए थे | | 
मालूम नहीं अभी तक हमें दोस्तों,
वो खफा थे या फिदा भी हो पाए थे | 

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