love Shayari
मैं तो आसमां हूँ खली खली
तू हर रंगों से भरी धरती है |
यहाँ कुदरत की हर नियामतें ,
तुझे ही झुक कर सलामत करती हैं ||
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यूँ तो मुझमें तुझमें
जमी आसमां का फर्क है |
तेरी बाँहों में मेरी जन्नत,
वर्ना सारा जीवन ही नर्क है ||
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वक्त गुजार लिया सफर समझकर |
फिर ठुकरा दिया पत्थर समझकर ||
एक नहर पार कर न सके प्यार की,
गोते खाने लगे समंदर समझकर |
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डोलियां भी सजाई जाती हैं |
खुशियां भी मनाई जाती हैं ||
फिर क्यों जल्दी ही उनकी,
अर्थियां भी जलाई जाती हैं |
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हमने कई पैगाम भिजवाए थे |
लौटकर जवाब नहीं आए थे | |
मालूम नहीं अभी तक हमें दोस्तों,
वो खफा थे या फिदा भी हो पाए थे |
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