Sunday, January 13, 2019

यार मेरे

 यार मेरे

अभी अभी तो साथ मिला है यार मेरे |
उम्मीदों का एक फूल खिला है यार मेरे | |
देख के दूरी मंजिल की घबराना नहीं
अभी तो शुरू हुआ है सिलसिला यार मेरे |



कहने को बातें बहुत मगर मजबूरी है,
अभी वक्त का मुंह सिला है यार मेरे |
अब तो ऊब ही गए बेरूखी से उनकी ,
हमसे ऐसा क्या गिला है यार मेरे |

ठोकरों की भी हद होती है निर्मोहि,
दर्दों का यहाँ तो किला है यार मेरे |
आज वो भी चल दिए आए थे, जो मेहमान
विदाई में हाथ नहीं दिल हिला है यार मेरे |

No comments:

Post a Comment

Recent Posts