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Saturday, January 26, 2019

मदारी (madari) | govt. policies | rajneeti shayari in hindi | shayari on life 2019

 

मदारी

जब से खींची है गरीबी की रेखा।
ऊपर वालों ने भी नीचे ही देखा । ।
और नीचे वालो को और भी नीचे,
गरीबो की गहरी खाईं में फेंका।

ये सदीयों से डमरू बजते हैं।
हर युग में बंदर नचाते हैं।।
बंदर नंगे हो चाहे भूखे सारे,
मदारी अपनी झोली खूब सजाते हैं।

ये आज भी हुड़दंग मचा रहे हैं।
हमें हर खेल में नचा रहे हैं।।
फिर खेल धार्मिक हो या राजनितिक,
ये ही तो सारी कमाई पचा रहे हैं ।

अब अस्पतालों में योजना चलाई है ।
एक रोगी कल्याण समिति बनाई है। ।
वहां भी रोगियों का भला हो या न हो,
खुद के लिए अच्छी नीति अपनाई है।


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Wednesday, January 16, 2019

kisan

किसान

हम तो किसान के बेटे हैं, कृषि को प्रधान मानते हैं|
परंतु धर्म प्रेमि श्रद्धालुओं को भी महान मानते हैं | |
घर खेत खलिहानों को मिले न मिले बिजली लेकिन,
रौशनी से चमचमाती झांकियों को हम भगवान मानते हैं |

उत्पादन से कटौती कर,हज़ारो मेगावाट विद्दुत खपाई जाती है |
यहाँ बिजली के अलावा, करोड़ोकी लागत लगाई जाती है | |
घर की बहू बेटीयां तो चाहे जल जाएं जिन्दा यहाँ पर,
शहर के चौराहे पर मिट्टी की देवियां सजाई जाती हैं |



आजकल दूरदर्शन और सरकार में तालमेल हो जाते हैं|
इनके झूटे वायदे और  विज्ञापन बेमिसाल हो जाते हैं|
इसिलोये विज्ञापन कम्पनि और मंत्री मालामाल ,
हर मेहनतकश मजदुर यहाँ कंगाल हो जाते हैं |


अदालत

परंतु अदालत भी इन्हें ऐसे माफ़ कर देती है,
जैसे टीवी घटिया सर्फ़ में कपडे साफ कर देती है |
न्यायालय में बैठी हैं मूर्तियां जो न्याय की,
वहाँ पर वो भी ले देके ही इन्साफ कर देती हैं |

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Sunday, January 13, 2019

उम्मीदवार | व्यंग | rajneeti shayari | political shayari 2019

  उम्मीदवार

उम्मीद थी उम्मीदवार अच्छे निकलेंगे,
पता न भी है शेतान के बच्चे निकलेंगे |
जन प्रतिनिधि जानता के नहीं खुद के,
और सरकार के ही वफादार सच्चे निकलेंगे |

देश के कर्णधार भी कमाल करते हैं |
अपनी प्रजा को ही हलाल करते हैं | |
इनके विस्वास की तो बात ही और है,
रक्षा के सौदे भी इनके दलाल करते हैं | |

कभी लूटा इसे घुड़सवारियों ने |
कभी लूटा इसे बनदुकधारियों ने | |
ये देश सदियों से लुट रहा है यारों,
आज हमें लूटा है सत्ताधारियों ने |



हमें लूट कर है सधन वन में घुस गए |
हमें लूट कर ये संसद भवन में घुस गए |
बैठ कर वहां जब करने लगे वो बंटवारा,
मुददा उठा के दो आरक्षण में घुस गए |

काश इनके बदले डाले हाथी पाल लिए होते |
वो डाल पात खाते, पेड़ तो छोड दिए होते | |
इन्होंने तो हाथी को भी शिकस्त है डाली |
अस्तित्व ही मिटा दिया जड़ें भी खोद डाली | |

Wednesday, March 7, 2018

व्यवस्थाऐं

  व्यवस्थाऐं

तरह तरह का भ्रष्टाचार है 
तरह तरह की है भ्रष्टाचारी | 
मिल्क बिस्किट खाते उनके टॉमी 
आत्म हत्या करते भूके कर्मचारी ||  
  •  
तरह तरह का आतंक है 
तरह तरह के हैं आतंकवादी | 
सरहद पे शहीद होती गाँव की खाकी 
दिल्ली का ताज पहनती है खादी  || 

अब तो चरवाहों से हमजोली कर ली | 
भेड़ियों ने भेड़ों की रखवाली कर ली || 
इस नए ज़माने में नए तरीके से 
शिकारियों ने शिकार से आँख मिचोली करली || 

व्यवस्थाएं चिताओं पे पलती रही | 
वे धर्म के नाम पर हमें छलती रही || 
जब संविधान में हक मिला हमें |
तो बहस संशोधन पे चलती रही ||

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